नए संसद भवन मैं स्थापित होने वाला सेंगोल' क्या है और उस से संबंधित परीक्षा उपयोगी तथ्य(important fact about sengol)

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  नया संसद भवन मैं बनने वाला संगोल' क्या है और इससे संबंधित परीक्षा संबंधी तथ्य (सेंगोल के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य)

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को बताया कि नए संसद भवन में 'सेंगोल' यानी राजदंड को रखा जाएगा। यही सेंगोल है, जिसे आजादी के बाद जवाहरलाल नेहरू ने कहा था। इस संगोल के भारत में सबसे पहले चोल राजाओं द्वारा सत्ता के हस्तांतरण में उपयोग किया गया था। अब इस सेंगोल को नए संसद भवन में स्पीकर चेयरपर्सन बनाया जाएगा। तमिलनाडु से आए विद्वान पीएम मोदी को 'सेंगोल' सौपेंगे। आइए जानते हैं सेंगोल के बारे में 10 फैक्ट्स...





1- संगोल क्या है?

- संगोल दंडानुमान का राजदंड होता है। यह राजा की राज-शक्ति का प्रतीक चिन्ह है। सेंगोल को सही तरीके से भारतीय हाथों में सत्ता के हस्तांतरण का एक बेहतरीन उदाहरण माना जाता है। भारत में सबसे पहले चोल शासन काल एक शासक से दूसरे शासक के सत्ता हस्तांतरण के समय का प्रयोग होता था। सेंगोल नए शासक को न्यायपूर्ण शासन करने की याद दिलाता है। 

2- सेंगोल की चौड़ाई कितनी होती है?

- जवाहर लाल नेहरू को जो सेंगोल लुक में थे, उनकी लाइन 5 फीट है। वहीं संगोल अब पीएम मोदी को सोपा जायेगा

3- किस धातु से संगोल बनता है?

- सेंगोल सिल्वर का निर्माण किया गया था। इस पर सोने की वापसी हुई थी। वक्त अलग-अलग कलाकारों ने किया काम। 

4- इसे किसने बनवाया और किसने बनाया था?

- पहले से दिए गए विशेष आदेश के बाद इसे खो दिया गया था। मद्रास के स्वर्णकार वुम्मिदी बंगारू चेट्टी ने इसे कलाकार बनवाया था। इस अद्भुत कलाकार के शीर्ष पर नंदी का सुंदर छटा दिखता है। 

5- संगोल क्यों खो गया था?

- अगस्त 1947 में सत्ता के हस्तांतरण का प्रमाण हो रहा था, तब लॉर्ड माउंट बेटन ने पंडित नेहरू से पूछा था कि सत्ता हस्तांतरण के दौरान क्या होना चाहिए? नेहरूजी ने सी राजगोपालाचारी से परामर्श किया। वे देश के इतिहास और संस्कृति की गहरी जानकारी रखते थे। तब उन्होंने राजाओं द्वारा अपने अवसरों पर अपने अनुष्ठान और अनुष्ठान के बारे में बताया। इसके बाद यह फैसला हुआ कि नेहरू को संगोल मिलेगा। इसके बाद राजगोपालाचारी ने अगस्त 1947 में भारतीय स्वतंत्रता को चिन्हित करने के लिए इसे बनने का निर्णय लिया। 

6- नेहरू को सेंगोल कब गया था?

- 14 अगस्त, 1947 को पंडित जवाहरलाल नेहरू को सेंगोल बनाया गया था। उसी समय पहले पुरोहितों ने विशेष गीत पढ़ा था। इस प्रकार मंगल कामना के साथ सत्ता का हस्तांतरण हुआ। 



7- नेहरू ने कहा था संगोल?

- जवाहरलाल नेहरू ने सबसे पहले जवाहरलाल नेहरू से महंत सेंगोल को स्वीकार किया।


8- कौन अधमरे थे?

- पूर्वनम शैव प्रथा के गैर-ब्राह्मण अनुयायी थे और पांच सौ साल प्राचीन थे। चोल वंश में सत्ता के हस्तातंरण के वक्त सेंगोल को गाया जाता था। इससे पहले इसे धर्मगुरूओं द्वारा विशेष अनुष्ठान से पवित्र किया जाता था। स्वतंत्रता के बाद राजगोपालाचारी ने तमिलनाडु में स्थित तिरुवाडुथुरई के पूर्वनाम के प्रमुख से भारतीय हाथों में सत्ता के हस्तांतरण के लिए ऐसा करने का अनुरोध किया था। पूर्वनम ने इस कार्य को करने के लिए अगस्त 1947 में कुछ लोगों के एक विशिष्ट समूह को दिल्ली भेजा था। 9- कैसे दोबारा चर्चा में आया सेंगोल?

- 15 अगस्त, 1947 के बाद संगोल नजर नहीं आया। कहा जाता है कि इसे इलाहाबाद के संग्रहालय में रखा गया था। 15 अगस्त, 1978 को कांची मठ केशेखरेंद्र सरस्वती ने एक संवाद में इस घटना को याद किया। उन्होंने डॉक्टर बी आर सुब्रमण्यम से इसकी चर्चा की। सुब्रमण्यम ने इस चर्चा को अपनी किताब में भी जगह दी। इसका संकलन विभिन्न तमिल मीडिया में दिया गया है। इसके बाद सेंगोल चर्चा में आ गया। 


10- कहां लगाया जाएगा संगोल? 

- संगोल को नया संसद भवन बनाया जाएगा। यह तमिलनाडु से पीएम मोदी को सौंपेंगे। इसके बाद इसे वक्ता की कुर्सी के पास रखा जाएगा।


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