भू आकृति विज्ञान पीडीएफ by kuldeep sir - MPPSC mains paper 3 unit 10
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भू आकृति विज्ञान पीडीएफ by kuldeep sir - MPPSC mains paper 3 unit 10
भू गर्भ शास्त्र की परिभाषा :-
पृथ्वी से संबंधित ज्ञान की भू-विज्ञान कहलाता है। भू-विज्ञान का उद्देश्य पृथ्वी की उत्पत्ति, आयु, रचना, उसके विभिन्न घटक जैसे खनिज एवं शैलों, निर्माणकारी हलचलों एवं संरचनाओं तथा पृथ्वी के इतिहासेत्तर विकास का अध्ययन करना है।
> ग्रोटजिंगर (Grotzinger) और जॉर्डन (Jordan) के अनुसार "भू-गर्भ शास्त्र पृथ्वी विज्ञान की वह शाखा है जिसमें पृथ्वी ग्रह के सभी पहलुओं जैसे इतिहास. संयोजन, आन्तरिक संरचना और इसके लक्षणों का अध्ययन किया जाता है।"
भू-गर्भशास्त्र का अंग्रेजी पर्याय Geology है, जिसकी उत्पत्ति दो ग्रीक शब्दों 'Geo' और 'Logy' से हुई है। जिसका अर्थ क्रमशः पृथ्वी से संबंधित ज्ञान ही भूविज्ञान कहलाता है।
अतः जियोलॉजी का शाब्दिक अर्थ पृथ्वी का अध्ययन अथवा 'पृथ्वी का विज्ञान है।
जियोलॉजी शब्द प्रथम बार रिचर्ड डी बरी द्वारा सन् 1473 में प्रयोग किया गया था और आधुनिक व्यवहार में ओ और
यूलिसिस अल्डोवैण्डस के द्वारा 1805 में लाया गया था। भू-गर्भशास्त्र प्राचीनतम विज्ञान है क्योंकि मनुष्य प्राचीन
काल से ही पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करता आया हैं। आज, भू-गर्भशास्त्र की पहचान पृथ्वी विज्ञान को एक
शाखा के रूप में है जिसके अन्तर्गत पृथ्वी ग्रह के सभी पहलुओं का अध्ययन होता है।
भू-गर्भशास्त्र एक समाकलनात्मक विज्ञान है। पृथ्वी कैसे कार्य करती है, इसे समझने और चित्रित करने के लिए भूवैज्ञानिक अनिवार्य रूप से रासायनिक, जैविक, भौतिक और गणितीय अवयवों के अतिरिक्त अभिकलनी (Computational) विज्ञान को भी एकीकृत करता है।
उदाहरण के तौर पर, शैल के एक टुकड़े का परीक्षण करते समय भूवैज्ञानिक उसमें जीवन के संकेतों की सम्भावना खोजते है। इसमें खनिजों की पहचान तथा रासायनिक विश्लेषण करते हैं और इसके द्रव्य गुणों यथा भौतिक, प्रकाशिकी और अभियांत्रिकी का परीक्षण करते है।
> भू-गर्भ शास्त्र विज्ञान की दूसरी मूल शाखाओं खगोलिकी, भौतिकी, रसायन विज्ञान और जन्तु विज्ञान आदि से सम्बन्धों को स्पष्ट करता है।
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