बौद्ध संगीतियां : स्थान अध्यक्ष और शासन काल की जानकारी
बौद्ध संगीतियां : स्थान अध्यक्ष और शासन काल की जानकारी
नमस्कार दोस्तो स्वागत करते है आपका हमारी वेबसाइट pratiyogita mitra पर। यह पर आपको प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित महत्वपूर्ण पुस्तकों का पीडीएफ संग्रह देखने को मिलेगा ।
इसके साथ ही हम अन्य महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान भी उपलब्ध करवाते है तो इसी लिए हम आपके लिए बौद्ध संगीतियां : स्थान अध्यक्ष और शासन काल की जानकारी लेकर आए है।
बौद्ध संगीतियांः स्थान, अध्यक्ष, शासनकाल
महात्मा बुद्ध के परीनिर्वाण के कुछ समय बाद से ही उनके उपदेशों को संग्रहीत करने , उनका पाठ करने आदि के उद्देश्य से संगीती की प्रथा चल पड़ी।
Read more :- सिंधिया वंश का इतिहास
═━━━━━━━✧❂✧━━━━━━━══╭─❀⊰╯“प्रथम बौद्ध संगीति”
╨──────────────━❥
स्थान ➛ राजगृह (सप्तपर्णी गुफा)
समय ➛ 483 ई.पू.
अध्यक्ष ➛ महाकस्सप
शासनकाल ➛ अजातशत्रु (हर्यक वंश) के काल में ।
उद्देश्य ➛ बुद्ध के उपदेशों को दो पिटकों विनय पिटक तथा सुत्त पिटक में संकलित किया गया।
╭─❀⊰╯“द्वितीय बौद्ध संगीति”
╨──────────────━❥
स्थान ➛ वैशाली
समय ➛ 383 ई.पू.
अध्यक्ष ➛ साबकमीर (सर्वकामनी)
शासनकाल ➛ कालाशोक (शिशुनाग वंश) के शासनकाल में।
उद्देश्य ➛ अनुशासन को लेकर मतभेद के समाधान के लिए बौद्ध धर्म स्थापित एवं महासांघिक दो भागों में बँट गया।
╭─❀⊰╯ “तृतीय बौद्ध संगीति”
╨──────────────━❥
स्थान ➛ पाटलिपुत्र
समय ➛ 251 ई.पू.
अध्यक्ष ➛ मोग्गलिपुत्ततिस्स
शासनकाल ➛ अशोक (मौर्यवंश) के काल में।
उद्देश्य ➛ संघ भेद के विरुद्ध कठोर नियमों का प्रतिपादन करके बौद्ध धर्म को स्थायित्व प्रदान करने का प्रयत्न किया गया। धर्म ग्रन्थों का अंतिम रूप से सम्पादन किया गया तथा तीसरा पिटक अभिधम्मपिटक जोङा गया।
╭─❀⊰╯ “चतुर्थ बौद्ध संगीति”
╨──────────────━❥
स्थान ➛ कश्मीर के कुण्डलवन
समय ➛ प्रथम शता. ई.
अध्यक्ष ➛ वसुमित्र
उपाध्यक्ष ➛ अश्वघोष
शासनकाल ➛ कनिष्क (कुषाण वंश) के काल में।
उद्देश्य ➛ बौद्ध धर्म का दो सम्प्रदायों हीनयान एवं महायान में विभाजन।
Share जरूर करें ‼️....