भारतीय संविधान की विशेषताएं(characteristics of Indian constitution)

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भारतीय संविधान की विशेषताएं(characteristics of Indian constitution) mppsc mains exam 


  दोस्तों आज हम देश के संविधान की विशेषताओं के बारे में जानेंगे एक विद्यार्थी होने के नाते और देश का सच्चा नागरिक होने के नाते हमें अपने देश के संविधान की विशेषताओं के बारे में जानकारी होना बहुत ही आवश्यक है इसलिए आज हम आप सभी के लिए देश के संविधान की प्रमुख विशेषताओं के बारे में एक विस्तृत लेख लेकर आए हैं जो इस प्रकार भारतीय संविधान की विशेषताओं को हम निम्नलिखित रूप से समझ सकते हैं

1. सबसे विशाल लिखित संविधान (most comprehensive written constitution):- 

संविधान को मूलत दो भागों में बांटा जाता है लिखित एवं अलिखित भारत का संविधान विश्व का सबसे विशाल लिखित संविधान है वर्तमान में इसमें एक प्रस्तावना एवं 450 अनुच्छेद है जो 22 भागों में विभाजित है और इसमें 12 अनुसूचियां हैं

2. नाम्यता और अन्मयत का समन्वय (Blend of rigidity and flexibility):- 


संविधान की  नाम्यता और अनन्यता उसकी संशोधन प्रक्रिया पर निर्भर करती है जिस संविधान में संशोधन करने की प्रक्रिया जटिल है उसे  अन्मय और जिसमें सरल है उसे नाम्य  संविधान कहा जाता है भारतीय संविधान लिखित होते हुए भी परिवर्तनशील है संविधान के कुछ ही प्रावधानों में संशोधन के लिए साधारण प्रक्रिया का जबकि अधिकांश प्रावधानों में संसद की विशेष प्रक्रिया का पालन किया जाता है

3.धर्म निरपेक्ष राज्य(secular state):-

भारतीय संविधान धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा को अपनाता है इसके अनुसार भारत का कोई राजकीय धर्म नहीं होगा तथा सभी धर्म का समान रूप से सम्मान करेगा

4. एकात्मकता की ओर झुकाव के साथ संघात्मक संविधान(federal constitution with unitary bias):- 

भारतीय संविधान की प्रकृति संघात्मक है किंतु  आसमान परिस्थितियों में इसका स्वरूप एकात्मक हो जाता है तथा भारतीय संविधान में संघात्मक और एकात्मक दोनों व्यवस्थाओं की विशेषता मौजूद है

5. संसदीय शासन प्रणाली (parliamentary system):-

संघात्मक संविधान के अंतर्गत प्रमुख दो प्रकार की सरकारों की स्थापना की जा सकती है संसदीय तथा अध्यक्षात्मक संसदीय व्यवस्था विधायिका तथा कार्यपालिका के मध्य समन्वय एवं सहयोग के सिद्धांत पर आधारित होती है जबकि अध्यक्ष प्रणाली में शक्ति के पृथक्करण पर आधारित होती है भारतीय संविधान संसदीय सरकार की स्थापना करता है

6. स्वतंत्र एवं एकत्रित न्यायपालिका (integrated and independent judiciary):-  

संघात्मक व लिखित संविधान में न्यायपालिका का स्वतंत्र होना अति आवश्यक है स्वतंत्र न्यायपालिका का लोकतंत्र का आधार स्तंभ है यह विधायिका एक कार्यपालिका पर नियंत्रण स्थापित कर रोक व संतुलन के सिद्धांत को लागू करती है उल्लेखनीय है कि भारतीय संविधान संघात्मक होने के बावजूद एकीकृत न्यायपालिका की स्थापना करता है

7. मौलिक अधिकार (Fundamental rights):- 

व्यक्ति के  संपूर्ण विकास के लिए जिन अधिकारों का प्राप्त होना आवश्यक है उन्हें हम मूल अधिकार कहते हैं भारतीय संविधान भी भाग 3 में मूल अधिकार में घोषणा करता है अनुच्छेद 12 से लेकर 35 तक। 

8. राज्य की नीति निर्देशक सिद्धांत (Directive principles of state policy):-

सामाजिक एवं आर्थिक न्याय की स्थापना हेतु राज्य  के कुछ कर्तव्य माने गए हैं जिन्हें राज की नीति निर्देशक तत्व कहा जाता है भारतीय संविधान के भाग 4 में इनका उल्लेख है  अनुच्छेद 36 से लेकर 51 तक ।

9. मौलिक कर्तव्य(fundamental duties):- 

अधिकार एवकर्तव्य एक दूसरे के पूरक होते हैं अधिकार प्राप्ति के साथ ही प्रत्येक व्यक्ति का अपने राष्ट्र व समाज के प्रति कुछ कर्तव्य होते हैं जिन्हें पूरा करना उसका दायित्व होता है यद्यपि मूल संविधान में मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख नहीं था इन्हें स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिश पर 1976 में 42 में संविधान संशोधन के द्वारा शामिल किया गया है

10. संविधान की सर्वोच्चता (Supermacy of constitution):- 

भारतीय संविधान संविधान की सर्वोच्चता को स्थापित करता है अर्थात संविधान से ऊपर कोई कानून नहीं है सरकार या राज्य संविधान के विरुद्ध कोई भी विधि या नियम नहीं बन सकती हैं।

11. एकल नागरिकता (single citizenship):-

समानता संघात्मक संविधान में दोहरी नागरिकता होती है एक संघ की तथा दूसरी राज्य की किंतु भारतीय संविधान संघात्मक होती हुई एकल नागरिकता के सिद्धांत को अपनाता है वहीं दूसरी ओर अमेरिका में दोहरी नागरिकता का नियम है।

12. सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार (Universal Adult franchise):-  

भारतीय संविधान सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को अपनाता है 18 वर्ष की आयु के ऊपर प्रत्येक व्यक्ति को धर्म, जाति ,लिंग ,साक्षरता तथा संपत्ति के आधार पर बिना भेदभाव के मतदान का अधिकार है

13. आपातकालीन प्रावधान(Emergency provision):-

 देश की एकता अखंडता एवं संप्रभुता को बनाए रखना प्रत्येक लोकतांत्रिक सरकार का कर्तव्य यदि उसके समक्ष आसमान परिस्थितियों (युद्ध ,आक्रमण सशस्त्र विद्रोह) उत्पन्न हो जाए तो उसे निपटाने के लिए विशेष प्रावधान की आवश्यकता होती है इसी आशयको ध्यान में रखते हुए भारतीय संविधान भाग 18 में आपातकालीन प्रावधानों की व्यवस्था करता है अनुच्छेद 368।

14. त्रि-स्तरीय सरकार (Three tier government):-

भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषता त्रिस्तरीय सरकार केंद्र राज्य एव पंचायती राज की स्थापना है जो विश्व के किसी भी संविधान में नहीं है । 

                             इस प्रकार हमने भारतीय संविधान की विशेषताएं  विस्तार से देखें भारतीय संविधान हमें अपने क्षमता और आवश्यकता के अनुसार विकास का पूर्ण अवसर कर प्रदान करता है ऐसे ही जीवन और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी जानकारी के लिए हमारे साथ बने रहिए मिलते   जल्द ही एक नए उपयोगी पोस्ट के साथ धन्यवाद।


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