भारत की पंचवर्षीय योजनाओं की सूची ,उनके लक्ष्य और उपलब्धियां पीडीएफ । Five year plan pdf in hindi drishti ias ।

भारत की पंचवर्षीय योजनाओं की सूची ,उनके लक्ष्य और उपलब्धियां। Five year plan pdf in hindi drishti ias ।



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भारत में आर्थिक नियोजन की अवधारणा रूस (तब यूएसएसआर) से ली गई थी. आर्थिक नियोजन बह प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत पूर्ण निश्चित उद्देश्यों की पूर्ति हेतु सीमित प्राकृतिक संसाधनों का कुशलता उपयोग किया जाता है भारत में आर्थिक नियोजन के निश्चित उद्देश्य आर्थिक समृद्धि आर्थिक व सामाजिक असमानता को दूर करना गरीबों का निवारण तथा रोजगार के अवसरों  में वृद्धि।

भारत की पहली पंचवर्षीय योजना 1 अप्रैल 1951 ई से प्रारंभ हुई । प्रथम योजना आयोग के अध्यक्ष प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के उपाध्यक्ष पुजारी लाल नंदा के 15 अगस्त 2014 ई को योजना आयोग को समाप्त कर दिया गया है । भारत में अब तक 12 पंचवर्षीय योजना लागू की जा चुकी है।

 प्रथम पंचवर्षीय योजना :- ( 1951- 56)

  • यह योजना है रोड डोमर मॉडल पर आधारित थी
  • इस योजना का मुख्य उद्देश्य अर्थव्यवस्था के संतुलित विकास की प्रक्रिया आरंभ करना था।
  • इस योजना में कृषि को उच्च प्राथमिकता दी गई।
  • इस योजना के दौरान राष्ट्रीय आय में 18% तथा प्रति व्यक्ति आय में कुल 11% की वृद्धि हुई।
  • यह सफल योजना रही तथा  इसने लक्ष्य 2.1% से आगे 3.6% को हासिल किया।
द्वतीय पंचवर्षीय योजना :- (1956 - 61 )
  • यह योजना पीसी महालनोबिस मॉडल पर आधारित थी।
  • इस योजना का मुख्य उद्देश्य समाजवादी समाज की स्थापना करना था।
  • इस योजना में लक्ष्य 4.5%  से कम 4.1% विकाश दर को हासिल किया।
  • इसमें भारी उद्योगों व खनिजों को उच्च प्राथमिकता दी गई तथा इस मन में सार्वजनिक क्षेत्र के अध्याय की 24% राशि व्यय की गई। 
  • अनेक महत्वपूर्ण वृहद उद्योग जैसे दुर्गापुर भिलाई राउरकेला के इस्पात कारखाने इसी योजना के दौरान स्थापित किए गए।
तृतीय पंचवर्षीय योजना ( 1961 - 66 )
  • इस योजना का मुख्य उद्देश्य अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाना तथा स्वतः स्फूर्त अवस्था में पहुंचना था
  • यह योजना अपने लक्ष्य 5.6% की वृद्धि दर को प्राप्त करने में असफल रही तथा 2.5% की वृद्धि दर की प्राप्त कर सकी।
  • इस योजना में कृषि व उद्योग दोनों को प्राथमिकता दी गई।
  • इस योजना की सफलता का मुख्य कारण भारत चीन युद्ध भारत पाक युद्ध तथा अभूतपूर्व सूखा  था।
  • इस योजना के दौरान सरकार द्वारा बनाई गई कृषि नीति में हरित क्रांति को जन्म दिया।
  • भारत में हरित क्रांति के जनक कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को कहा जाता है।
योजना अवकाश (1966 - 69 )

  • इस अवधि में तीन वार्षिक योजना तैयार की गई।
  • इस अवकाश अवधि में कृषि तथा संबद्ध क्षेत्र और उद्योग क्षेत्र को सामान प्राथमिकता दी गई।
  • योजना का मुख्य कारण भारत पाक संघर्ष तथा सुख के कारण संसाधनों की कमी, मूल्य स्तर में वृद्धि रही।
  • इस दौरान 3.8 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर प्राप्त हो सकी।
चतुर्थ पंचवर्षीय योजना (1969-74)
  • यह पंचवर्षीय योजना डीआर गाडगिल मॉडल पर आधारित थी।
  • इस योजना के मुख्य उद्देश्य स्थायित्व के साथ विकास तथा आर्थिक आत्मनिर्भरता की प्राप्ति थी।
  • इस योजना में भारत की कृषि वृद्धि दर सर्वाधिक रही है।
  • यह योजना अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में असफल रही तथा 5.7 % की वृद्धि दर लक्ष्य के विरुद्ध मात्र 3.3% वार्षिक वृद्धि दर प्राप्त की जा सकी।
  • स्वेत क्रांति किसी योजना काल में प्रारंभ की गई थी।
पांचवी पंचवर्षीय योजना ( 1974 -78)
  • इस योजना का मुख्य उद्देश्य गरीबी उन्मूलन तथा आत्मनिर्भरता की प्राप्ति थी यह योजना केवल 4 वर्ष की थी
  • योजना में आर्थिक स्थायित्व लाने को उच्च प्राथमिकता दी गई।
  • योजना के दौरान विकास लक्ष्य प्रारंभ में 5.5 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि रखी गई परंतु बाद में इसे संशोधित कर 4.4% वार्षिक दर कर दी गई और 4.8 प्रतिशत की वृद्धि दर प्राप्त की गई।
  • योजना में सर्वोच्च प्राथमिकता कृषि को दी गई एवं तत्पश्चात उद्योग व खनिज क्षेत्र को।
  • जनता पार्टी शासन द्वारा इस योजना को सन 1978 ईस्वी में ही समाप्त करने का निर्णय लिया गया
अनवरत योजना ( 1978- 1980)
  • 1978 से 83 अवधि के लिए अनवरत योजना मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली जनता पार्टी सरकार के द्वारा बनाई गई लेकिन इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली नई सरकार द्वारा यह 1980 में ही समाप्त कर दी गई।
  • इस योजना के दौरान उच्च मूल्य की मुद्राओं की वैधता समाप्ति शराब बंदी जन वितरण प्रणाली का विस्तार तथा सार्वजनिक बीमा योजना की शुरुआत की गई थी।
छठी पंचवर्षीय योजना (1980 -85)
  • इस योजना का प्रारंभ रोलिंग प्लान 1978 से 83 ई जो जनता पार्टी सरकार द्वारा बनाई गई थी वह समाप्त करके की गई।
  • इस योजना का मुख्य उद्देश्य एवं गरीबी उन्मूलन और रोजगार में वृद्धि था पहली बार गरीबी उन्मूलन पर विशेष जोर दिया गया।
  • योजना में विकास का लक्ष्य 5.02 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर रखा गया तथा सफलतापूर्वक पंचमूलक पांच चार प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर प्राप्त की गई।
  • इस योजना के दौरान समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम शुरू किए गए।
सातवीं पंचवर्षीय योजना 1985 से 1990
  • यह योजना व मिलर मॉडल पर आधारित थी।
  • प्रमुख उद्देश्य:-  1. समग्र रूप से उत्पादकता को बढ़ाना स्वरोजगार की अधिक अवसर जुटाना। 2. सौम्या एवं न्याय पर आधारित सामाजिक प्रणाली की स्थापना। 3. सामाजिक एवं आर्थिक असमानताओं को प्रभावी रूप से काम करना तथा 4. देसी तकनीकी विकास के लिए शूद्रों आधार तैयार करना था।
  • भोजन कम और उत्पादन का नारा इस योजना में दिया गया था
  • इसी योजना में जवाहर रोजगार योजना जैसी महत्वपूर्ण रोजगार परक कार्यक्रम प्रारंभ किया गया।
योजना अवकाश 1990 से 92 

  • 1 अप्रैल 1990 से 31 मार्च 1992 तक राजनीतिक स्टार्ट एवं आर्थिक संकट के कारण एक वर्षीय योजना बनाई गई।
आठवीं पंचवर्षीय योजना 1992 से 97
  • किसी योजना में सर्वोच्च प्राथमिकता मानव संसाधन का विकास अर्थात रोजगार शिक्षा व जन स्वास्थ्य को दिया गया तथा मानव विकास को सारे विकास प्रयासों का सार तत्व माना गया है
  • इसी काल में प्रधानमंत्री रोजगार योजना 1993 ई की शुरुआत हुई
  • आठवीं योजना में ही राष्ट्रीय महिला कोष की स्थापना मार्च 1993 में भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय के तहत महिला तथा बाल विकास विभाग द्वारा एक स्वतंत्र पंजीकृत समिति के रूप में की गई थी इसका मुख्य उद्देश्य गरीब महिलाओं को आमदनी सृजन के कार्यों के लिए क्या संपत्ति निर्माण के लिए लघु उतरन प्रदान करना या इस प्रावधान को बढ़ावा देना है इसके तहत आरंभिक कोष की आरंभिक सीमा 31 करोड रुपए रखी गई।
  • इस योजना का एक प्रमुख लक्ष्य मिला ढूंढने की प्रथा को पूर्णता समाप्त करना था।
नौवीं पंचवर्षीय योजना 1997 से 2002 
  • नौवीं पंचवर्षीय योजना में सर्वोच्च प्राथमिकता न्याय पूर्ण वितरण एवं समानता के साथ विकास को दिया गया।
  • इस योजना की अवधि में सकल घरेलू उत्पाद की वार्षिक वृद्धि दर का लक्ष्य 6.5% रखा गया जबकि उपलब्धि मात्रा 5.5% वार्षिक वृद्धि की रही इस प्रकार यह योजना असफल रही।
  • इस योजना की असफलता के पीछे अंतरराष्ट्रीय मंदी को जिम्मेदार माना गया।
  • क्षेत्रीय संतुलन जैसे मुद्दे को भी इस योजना में विशेष स्थान दिया गया।
दसवीं पंचवर्षीय योजना 2002 से 2007 ई
  • दसवीं पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य देश में गरीबी और बेरोजगारी समाप्त करना तथा अगले 10 वर्षों में प्रति व्यक्ति आय दुगनी करना प्रस्तावित किया गया।
  • योजना के दौरान प्रतिवर्ष 7.5 अरब डॉलर की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का लक्ष्य रखा गया।
  • योजना अवधि में सकल घरेलू उत्पाद में वार्षिक 8% की वृद्धि दर का लक्ष्य रखा गया जबकि उपलब्धि 7.5% रही।
  • योजना अवधि में 5 करोड़ रोजगार के अवसरों का सृजन करना लक्षित था।
  • योजना काल में मुद्रास्फीति की दर अवस्थल 5% रखने का लक्ष्य था जबकि वास्तव में यह 5.02 प्रतिशत रही।
भारत की ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (2007-12)

11वीं योजना का शीर्षक था 'तेज़ और अधिक समावेशी विकास की ओर'। इसमें लगभग 9 प्रतिशत की उच्च विकास दर की परिकल्पना की गई थी, जिसका अर्थ प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर थी। इसने लोगों के जीवन की गुणवत्ता में समग्र सुधार भी सुनिश्चित किया। 11वीं योजना के दृष्टिकोण में शामिल हैं:

  • गरीबी कम करने और रोजगार के अवसर बढ़ाने के साथ तीव्र विकास
  • गरीबों के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा की आवश्यक सेवाओं तक आसान पहुंच
  • शिक्षा एवं कौशल विकास के माध्यम से सशक्तिकरण
  • सभी के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम का उपयोग करना
  • पर्यावरणीय स्थिरता
  • लैंगिक असमानता को कम करना
  • समग्र प्रशासन में सुधार
भारत की बारहवीं पंचवर्षीय योजना (2012 - 17)

इस योजना के अनुसार, ' इसे भारत के इस दृष्टिकोण से निर्देशित किया जाना चाहिए कि यह एक ऐसी विकास प्रक्रिया के माध्यम से सभी लोगों के जीवन स्तर में व्यापक सुधार सुनिश्चित करेगा जो अतीत की तुलना में तेज़, अधिक समावेशी हो। , और पर्यावरण की दृष्टि से अधिक टिकाऊ भी। 'इस योजना के उद्देश्य इस प्रकार हैं:

  • 9 फीसदी की विकास दर
  • कृषि क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करें और योजना अवधि के दौरान 4 प्रतिशत की औसत वृद्धि रखें
  • मुद्रास्फीति के दबाव को नियंत्रित करें
  • सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि के लिए यह सुनिश्चित करें कि वाणिज्यिक ऊर्जा आपूर्ति प्रति वर्ष 6.5-7 प्रतिशत की दर से बढ़े।
  • एक समग्र जल प्रबंधन नीति विकसित करें
  • भूमि अधिग्रहण के लिए नये कानून का सुझाव दें
  • स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल विकास पर फोकस जारी रखें
  • बुनियादी ढांचा क्षेत्र के विकास में बड़ा निवेश
  • राजकोषीय सुधार की प्रक्रिया पर जोर
  • उपलब्ध संसाधनों का कुशल उपयोग
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