मुद्रास्फीति के प्रकार ( Types of inflation )

 मुद्रास्फीति के प्रकार ( Types of inflation ) 

मुद्रास्फीति के प्रकार ( Types of inflation ) :- बढ़त की परास (rang) तथा इसकी गंभीरता के आधार पर मुद्रास्फीति को तीन बृहद कोटियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:


1. अल्प मुद्रास्फीति (Low Inflation)

ऐसी मुद्रास्फीति धीमी होती है तथा इसकी पहले से भविष्य वाणी की जा सकती है।" जिसे लघु अथवा क्रमिक 12 कहा जा सकता है। यह एक तुलनात्मक पद है जिसका विपरीतार्थक द्रुत, दीर्घ तथा भविष्यवाणी नहीं किए जाने योग्य मुद्रास्फीति है। अल्प मुद्रास्फीति लंबी अवधि के दौरान देखने को मिलती है और इसमें वृद्धि सामान्यतया एकल संख्या में होती है। ऐसी मुद्रास्फीति को सरकने वाली (Creeping Inflation) 13 भी कहते हैं। हम एक उदाहरण ले सकते हैं, जिसमें किसी देश की मासिक मुद्रास्फीति दर छह महीनों में 2.3 प्रतिशत, 2.6 प्रतिशत, 2.7 प्रतिशत, 2.9 प्रतिशत, 3.1 प्रतिशत तथा 3.4 प्रतिशत। यहां छह महीनों की अवधि के दौरान परिवर्तन का परास 1.1 प्रतिशत बैठता है।

2. सरपट मुद्रास्फीति (Galloping Inflation) 

यह अत्यंत उच्च मुद्रास्फीति है जो दोहरी अथवा तिहरी संख्याओं में चलती है (जैसे-20 प्रतिशत, 100 प्रतिशत अथवा 200 प्रतिशत प्रतिवर्ष)। 14 वर्ष 1970 तथा 80 के दशकों में अर्जेंटीना, चिली तथा ब्राजील जैसे लैटिन अमेरिकी देशों में 50 से 700 प्रतिशत तक मुद्रास्फीति की दर हुआ करती थी। 1980 के दशक के अंत में सोवियत संघ के विघटन के बाद रूसी अर्थव्यवस्था में भी ऐसी ही अत्यंत उच्च मुद्रास्फीति दर दर्ज की गई थी।

समकालीन पत्रकारिता में इस मुद्रास्फीति को उछल-कूद मुद्रास्फीति (Hoping Inflation), उछाल मुद्रास्फीति (Jumping Inflation) तथा दौड़ती-भागती मुद्रास्फीति¹5 (Run away/running Inflation) कहा जाता है।

3. अति मुद्रास्फीति (Hyperinflation)

मुद्रास्फीति का रूप 'बड़ा और बढ़ता हुआ है, जिसकी वार्षिक दर अरबों या खरबों में हो सकती है। ऐसी मुद्रास्फीति में न सिर्फ बढ़त बहुत बड़ी होती है बल्कि ये बहुत कम समय के अंदर हो जाती है दाम रातों-रात बढ़ जाते हैं।

अति मुद्रास्फीति का सबसे अच्छा उदाहरण अर्थशास्त्री 1920 के दशक की शुरूआत में प्रथम विश्व युद्ध के बाद जर्मनी का मानते हैं। 1923 के अंत तक दाम दो साल पहले 18 के दामों की तुलना में 36 अरब गुना ज्यादा थे। मुद्रास्फीति इतनी ज्यादा थी कि जर्मन मुद्रा (डॉइच मार्क) का इस्तेमाल लोग वास्तविक मुद्रा के तौर पर न करके चूल्हा जलाने के लिए ईंधन के तौर पर कर रहे थे। 1985 में बोलीविया में (24,000 फीसदी प्रतिवर्ष) और 1993 मे पूर्व यूगोस्लाविया में (20 फीसदी प्रतिदिन) २० अति मुद्रास्फीति के उदाहरण देखने को मिले।

इस तरह की मुद्रास्फीति से घरेलू मुद्रा बहुत तेजी से अपना भरोसा खो देती है और लोग रुपये के दूसरे विकल्पों को अपनाना शुरू कर देते हैं, उदाहरण के लिए भौतिक वस्तुएं, जैसे-सोना, विदेशी मुद्रा (इन्हें इनफ्लेशन प्रूफ संपत्ति के तौर पर भी जाना जाता है) और लोग लेन-देन के विनिमय को भी अपना लेते हैं। 21

मुद्रास्फीति के अन्य भिन्न रूप (OTHER VARIANTS OF INFLATION)

1. गत्यावरोध/मार्गावरोध मुद्रास्फीति (Bottleneck Inflation)

ये मुद्रास्फीति तब होती है जब आपूर्ति में अचानक बहुत तेजी से गिरावट आ जाए जबकि मांग अपने पुराने स्तर पर बरकरार रहे। ऐसी स्थिति आपूर्ति पक्ष के अवरोधों, जोखिम या कुप्रबंधन की वजह से बनती है, जिसे 'स्ट्रक्चरल इंफ्लेशन' के तौर पर भी जाना जाता है। इसे 'मांग जनित मुद्रास्फीति' की श्रेणी में रखा जा सकता है।

2. मर्म मुद्रास्फीति (Core Inflation)

इसका ये नाम मुद्रास्फीति की गणना करते वक्त वस्तुओं और सेवाओं को शामिल किए जाने या न किए जाने पर आधारित है। पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं में लोकप्रिय कोर मुद्रास्फीति ऊर्जा और खाने के सामानों को छोड़कर सभी वस्तुओं और सेवाओं के दामों में बढ़ोतरी दिखाती है। भारत में साल 2000-01 में इसका पहली बार इस्तेमाल किया गया जब सरकार ने कहा कि ये नियंत्रण में है-यानी औद्योगिक वस्तुओं के दाम नियंत्रण में थे। 22 सरकार विशेषज्ञों ने इसकी इस आधार पर आलोचना की कि सरकार ने खाने-पीने की चीजों और ऊर्जा को मुद्रास्फीति से अलग कर दिया और फिर इस मोर्चे पर संतुष्ट महसूस करने लगी। मूल-रूप से पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं में खाना और ऊर्जा जनता की मुश्किल नहीं है जबकि भारत में ये दो पहलू उनके लिए अहम भूमिका अदा करते हैं।

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