मध्यप्रदेश के प्रमुख संगीतकार | Madhyapradesh ke pramukh sangeetkar
1.उस्ताद अलाउद्दीन खां (सरोद वादक)
2.तानसेन
• तानसेन अकबर के नवरत्नों में से एक थे तानसेन का जन्म वर्ष 1506 बेहट गांव ग्वालियर में हुआ था।
• मृत्यु 1585 मैं आगरा में हुई थी
• तानसेन की मकबरा ग्वालियर में स्थित है
• तानसेन को तन्ना मिश्रा व रामतनु पांडे नाम से भी जाना जाता है
• तानसेन रीवा के राजा रामचंद्र के दरबार में भी रह चुके हैं।
• जन्म - 1506 ई. बेहट (ग्वालियर) ।
• मृत्यु- 1585 ई. (दिल्ली में)
• पिता-मकरंद पाण्डेय
• मूलनाम-रामतनु (तन्ना) पाण्डेय।
• मकबरा-ग्वालियर में।
• संगीत गुरू- स्वामी हरिदास ( वृंदावन ) ।
• संगीत विशिष्टता- ध्रुपद गायन, दीपक राग, मेघमल्हार,रागमल्हार।
• इसके अतिरिक्त दरबारी, कान्हड़ा, मियां की मल्हार, मियां की टोड़ी, मिया की सारंग। आविष्कार रबाब एवं वीणा वाद्ययंत्र, ध्रुपद धमार की रचना।
• तानसेन सम्मान-1980 से हिन्दुस्तानी संगीत के लिये
• तानसेन समारोह-प्रतिवर्ष ग्वालियर में ।
• रीवा के महाराज रामचन्द्र ने उन्हें अकबर को उपहार स्वरूप दे दिया।
• अकबर ने तानसेन को पूर्ण सम्मान देकर अपने नवरत्नों में शामिल कर लिया।
• 'राग दरबारी कान्हड़ा' में भी तानसेन को उस्तादी थी, अकबर
इस राग को मियाँ का राग अर्थात्, तानसेन का राग कहते थे।
• राज्याश्रय-दौलत खाँ (शेरशाह सूरी का पुत्र) रीवा के राजा रामचन्द्र, एवं मुगल सम्राट अकबर (नवरलों में से एक) संगीत ग्रंथ- संगीतकार, संगीत रागकला ।
3.उस्ताद हाफिज अली खां (सरोद वादक)
• जन्म-सन् 1888 (ग्वालियर)
• मृत्यु - सन् 1972
• संगीतगुरू -उस्ताद वजीर अली खां (रामपुर) चुक्कालाल(वृंदावन) गनेशीलालगनपतराव से हिमरी सीखी।
• विशेष-इनका संगीत (अभिजात्य पूर्ण था। उनके संगीत गायन में ध्रुपद, ख्याल, ठुमरी का मेल होता था।
• राज्याश्रय-ग्वालियर के महाराज माधवराव सिंधिया एवं जीवाजीराव सिंधिया ।
• पुत्र अमजद अली खां (सरोद वादक)
• उपाधियाँ-आफताब-ए-सरोद, संगीत रत्नाकर सम्मान पद्म भूषण (1960) संगीत नाटक अकादमी का सर्वोच्च पुरस्कार।
• सरोदघर-इनकी स्मृति में इनके पुत्र ने ग्वालियर में सरोद घर की स्थापना की।
• हाफिज अली खान प्रसिद्ध सरोद वादक थे
• इन्हें संगीत रत्नाकर से भी नवाजा गया है
4.पंडित शंकरराव
• जन्म सन्- 1863 ( ग्वालियर मराठा ब्राह्मण परिवार में)।
• मृत्यु- सन् 1917
• पिता-पं. विष्णु शास्त्री (जीवाजीराव के आग्रह पर ग्वालियर आए) ।
• संगीत गुरू- बालकृष्ण बुवा, उस्ताद निसार हुसैन, देवजी बुवा (टप्पा शैली) ।
• टप्पा, ख्याल शैली तथा यमनराग में विशेष पारंगत थे।
• संगीत शिष्य-पण्डित कृष्णराव (पुत्र) भाऊ साहेब जोशी, काशीनाथ मुले, राजा भैया पूंछ वाले।
• सम्मान -राष्ट्रपति पदक
• विशेष- इनके पुत्र कृष्णराव ने ग्वालियर में इनकी स्मृति में शंकर गंधर्व संगीत महाविद्यालय स्थापित किया।
5.पण्डित कृष्णराव शंकर
• जन्म- 26 जुलाई 1893 ग्वालियर, पिता-पं. शंकरराव
•मृत्यु- 1983 ।
•संगीत गुरू-पं. शंकरराव (पिता), उस्ताद निसार हुसैन खा 20 वर्ष की आयु में मथुरा में गायन प्रस्तुति की।
•रचनायें-संगीत सरगम-सार, संगीत प्रवेश, संगीत अलाप संचारी, तबला वादन शिक्षा सितार जलतरग वादन शिक्षा, हरमोनियम वादन शिक्षा आदि।
•विशेष-(ख्याल गायकी) पर असाधारण अधिकार दूरदर्शन व रेडियो पर अनेक संगीत प्रस्तुति दी।
सरदार पटेल द्वारा 'गायक शिरोमणि' की उपाधि पाने वाले ख्याल गायक कृष्ण राव भूतपूर्व ग्वालियर राज्य के दरबारी से गायक थे। वर्ष 1914 में गांधर्व महाविद्यालय की नींव डाली, को जो अब इनके पिता की स्मृति में 'शंकर गान्धर्व महाविद्यालय' ग्वालियर के नाम से जाना जाता है। इन्होंने विधि संगीत शिक्षा के लिए अनेक पुस्तकें लिखी, जैसे-संगीत संगम सार, संगीत प्रवेश, संगीत अलाप, जलतरंग वादन शिक्षा, तबला वादन शिक्षा इत्यादि। इनके गायन के कैसेट्स कोलम्बिया रिकॉर्डिंग कम्पनी मैंने भी तैयार किए हैं।
6.राजा भैया पूंछ वाले
• जन्म-12 अगस्त 1882 (ग्वालियर)
• मृत्यु - 1 अप्रैल 1956
• वास्तविक बालकृष्ण आनंद राव आप्टेकर ।
पिता-आनंदराव (पूंछ बुंदेलखण्ड जागीर से ग्वालियर आये) ।
• संगीत गुरू-बलदेव जी, लाल बुआ, वामन बुआ (ध्रुपद सीखा), पिता आनंदराव से सितार सीखा, विष्णु नारायण भातखण्डे (बंबई स्वर लिपि सीखी) ।
• रचनायँ-तान, संगीतोपासना, ठुमरी, तरंगिनी, ध्रुपद धमार गायकी।
• विशेष-भातखण्डे की क्रमिक पुस्तक 'मालिका' के लिये अथक प्रयास किया ख्याल, ठुमरी, टप्पे में विशेष निपुणता प्राप्त की, भातखण्डे>की इच्छानुसार संगीत विद्यार्थियों को स्वरलिपि का प्रशिक्षण दिया।
• राजा भैया के आश्वासन पर भातखण्डे ने 10 जनवरी, 1918 को वर्तमान माधव संगीत महाविद्यालय, ग्वालियर की स्थापना की।
• माधव संगीत विद्यालय के अध्यापक व प्राचार्य रहे ग्वालियर की पारंपरिक गायन शैली के प्रणेता।
• उपाधियाँ- संगीत रत्नाकर, संगीताचार्य सार्वलोक गायक,राष्ट्रपति पदक