मृदा प्रदूषण | इसके कारण ,प्रभाव और रोकने के उपाय | Soil pollution in hindi

MANJESH SHARMA

 मृदा प्रदूषण | इसके कारण ,प्रभाव और रोकने के उपाय | Soil pollution in hindi 


नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट पर हमारी वेबसाइट के माध्यम से आप अपनी प्रतियोगी परीक्षाओं की तयारी के लिए नोट्स और पीडीएफ नोट्स उपलब्ध करवाते है।


आज हम आपको संक्षिप्त में आपको मृदा प्रदूषण | इसके कारण ,प्रभाव और रोकने के उपाय | Soil pollution in hindi लेकर आए है।

मृदा प्रदूषण (Soil Pollution) :- 


मृदा खनिजों, वायु, जल, कार्बनिक पदार्थों तथा विभिन्न जीवित संघटनाओं से बनी होती है। यह पादपों को यांत्रिक स्थिरक स्थान देने के साथ-साथ उनके लिए पोषकों और जल भंडारण का कार्य भी करती है। मृदा में विभिन्न प्रकार के लवण, खनिज तत्व, कार्बनिक पदार्थ, गैसें एवं जल एक निश्चित अनुपात में होते हैं। मिट्टी में उपर्युक्त पदार्थों की मात्रा एवं अनुपात में विभिन्न कारणों द्वारा उत्पन्न परिवर्तन, मृदा प्रदूषण कहलाता है।

 शहरीकरण, औद्योगीकरण, जनसंख्या वृद्धि तथा वैज्ञानिक या आधुनिक कृषि उत्पादन प्रणाली आदि ने भूमि पर व्यापक पैमाने में अपशिष्ट निःसृत किया है। एक लम्बे अरसे से यह प्रक्रिया चलती आ रही है और अपशिष्ट निस्तारण के प्रति गंभीरता तथा उत्साह उतना
नहीं देखने को मिलता, जितने की आवश्यकता है। फलतः इस कुप्रबंधित अपशिष्ट द्वारा मृदा का एक बड़ा भाग प्रदूषित हो चुका है। यह प्रदूषित मृदा न केवल विभिन्न मूल्यवान तथा उपयोगी वनस्पतियों के विलुप्त होने का एक कारक बनी है, अपितु इससे मानव तथा विभिन्न जीव-जन्तुओं के लिए भी संकट उत्पन्न हुआ है।

मृदा प्रदूषण के कारण (Causes of soil pollution)


विभिन्न वनस्पतियों की वृद्धि के लिए 16 खनिज तत्वों की आवश्यकता होती है, एक स्वस्थ मृदा में लगभग 13 तत्व पाए जाते हैं। इन तत्वों में से किसी एक की भी सान्द्रता में कमी या वृद्धि हो, तो मृदा प्रदूषित कहलाती है। मृदा प्रदूषण के लिए निम्नलिखित कारक उत्तरदायी हैं-

  • नगरीय अपशिष्ट (Urban Waste) :- बढ़ते शहरीकरण ने कूड़ा प्रबंधन की एक गंभीर समस्या उत्पन्न की है। यदि वर्तमान स्थिति पर दृष्टिपात करें, तो ज्ञात होता है कि विश्व में, विशेषकर विकासशील देशों में शहरी अपशिष्ट प्रबंधन का सर्वथा अभाव है। इन देशों में खुले मैदान में कूड़ा-करकट निस्तारित कर दिया जाता है। इससे अपशिष्ट में मौजूद प्लास्टिक थैले व बोतल, कांच, फाइबर गुड्स, नायलॉन, धातु आदि मृदा में मिलकर उसे प्रदूषित कर देते हैं।
  • औद्योगिक अपशिष्ट (Industrial waste ) :- यह मृदा का एक बहुत बड़ा कारण है। उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्टों में धातुएँ, धातु ऑक्साइड, क्षार , अम्ल , रंजक पदार्थ , कीटनाशक , रसायन आदि भूमि पर बहा दिए जाते है। इनसे मृदा की गुणवत्ता खराब होती है।
  • कृषि उत्पाद बढ़ाने के लिए उर्वरकों कीटनाशकों  तथा रसायनिक पदार्थों का प्रयोग निरंतर बढ़ता जा रहा है।इनके अत्यधिक प्रयोग के कारण मृदा के रसायनिक तथा भौतिक स्वरूप में भरी परिवर्तन होता जा रहा है । उर्वरकों  तथा रसायनों का अत्यधिक प्रयोग वेक्टेरिया सहित अन्य सूक्ष्म जीवों को भरी नुकसान पहुंचता है।
  • मृदा अपरदन (Soil Erosion) भी मृदा प्रदूषण का एक प्रमुख कारक है। मृदा कणों का वायु, जल आदि माध्यमों से स्थानांतरित हो जाना, मृदा अपरदन कहलाता है। मृदा अपरदन से विशेषकर पहाड़ी क्षेत्रों में कृषि भूमि में कमी आती है, बाढ़ व सुनामी आदि से भूमि की उर्वरता प्रभावित होती है। 
  • अम्ल वर्षा (Acid Rain) मृदा प्रदूषण का सबसे प्रभावी कारक है। अम्ल वर्षा के फलस्वरूप मृदा में अम्ल की अधिकता हो जाती है तथा उसका pH मान कम हो जाता है। यदि मृदा का pH मान 6 से नीचे है, तो मृदा बहुत अम्लीय मानी जाती है। अम्ल वर्षा मृदा की उपजता को प्रभावित करती है। कनाड़ा, नॉर्वे व स्वीडन आदि देश अम्ल वर्षा से सर्वाधिक प्रभावित देश हैं। अम्ल वर्षा के कारण यहाँ पर बागानी फसलों को काफी क्षति पहुंची है
  • खनन उद्योग द्वारा कृषि भूमि पर बड़ी मात्रा में अपशिष्ट निस्तारित किया जाता है। खनन अपशिष्ट, वर्षा जल के सम्पर्क में आकर मृदा को व्यापक पैमाने पर प्रदूषित करता है
  • लवणीय जल (Saline Water) प. राजस्थान, तटीय गुजरात आदि क्षेत्रों में मृदा प्रदूषण का महत्त्वपूर्ण घटक है। लवणयुक्त जल से सिंचाई करने पर मृदा की ऊपरी परत धीरे-धीरे अनुपजाऊ हो जाती है।
  •  इसके अतिरिक्त विषैले पदार्थों का लीकेज, ठोस अपशिष्टों की डंपिंग, तेल रिसाव आदि भी मृदा प्रदूषण के उत्तरदायी कारक हैं।


मृदा प्रदूषण का प्रभाव (Effect of Soil Pollution) :-
मृदा प्रदूषण के विभिन्न प्रभाव दृष्टिगोचर होते हैं, जो इस प्रकार हैं-
  • प्रदूषित मृदा में उपजाई जाने बाली फसलें तथा फल, सब्जियां भी प्रदूषित होती है। फलताः इनके प्रयोग करने पर गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती है । मृदा प्रदूषण के चलते खाद्य वस्तुओं में कैंसर करी तत्व  'कर्सीनोजन ' पाया जाता है।
  • कीटाणुनाशक, शाकनाशक तथा कवकनाशक विषैली दवाएँ भूमि की प्राकृतिक उर्वरता को कम कर, मृदा को टॉक्सिक बना देती है। 
  • मृदा प्रदूषण के कारण मृदा में निहित सूक्ष्म जीव, बैक्टीरिया आदि नष्ट हो जाते है जिससे न केवल मृदा की उर्वरता प्रभावित होती है. अपितु खाद्य चक्र भी प्रभावित होता है।
  • मृदा प्रदूषण के फलस्वरूप मृदा क्षारीयता, मृदा अम्लीयता  , मृदा उर्वरकता ब मृदा की जल धारण करने के क्षमता प्रभावित होती है।
  • मृदा प्रदूषण फसल उत्पादकता पर नकारत्मक प्रभाव उत्पन्न करता है ।विश्व की 30 प्रतिशत भूमि लवणीकरण की समस्या से ग्रस्त है।

मृदा प्रदूषण नियंत्रित करने के उपाय :- 

  • शहरी तथा औद्योगिक अपशिष्टों का समुचित प्रबंधन रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों , पेस्टीसाइड्स का सीमित उपयोग तथा इनके विकल्प के रूप में जैविक कृषि को प्रोतशाहन देना चाहिए।
  • मृदा प्रदूषण रोकने के लिए आधुनिक वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना चाहिए।
  • 4 R's (Reduce, Reuse, Recycle, Recover) तकनीकि का प्रयोग करना। ।।
  • ब्रक्षारोपण जैसे पारंपरिक विधियों को बढ़ावा देना।
  • लवणयुक्त जल से सिंचाई को प्रतिबंधित कर ड्रिप सिंचाई जैसी नवीन पद्धतियों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
इन्हे भी पढ़े